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पारसी नववर्ष (जर्ना नवरोज़): एक सांस्कृतिक और धार्मिक उत्सव

akshay by akshay
January 20, 2025
in Features, Top 10 News
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पारसी नववर्ष, जिसे जर्ना नवरोज़ (Jamshedi Navroz) भी कहा जाता है, पारसी समुदाय का सबसे महत्वपूर्ण और प्रिय पर्व है। यह नववर्ष, पारसी कैलेंडर के अनुसार 21 मार्च को मनाया जाता है और यह पूरे विश्व में रहने वाले पारसी समाज द्वारा बड़े धूमधाम से मनाया जाता है। नवरोज़ शब्द फारसी भाषा से लिया गया है, जिसका अर्थ है “नया दिन”। यह पर्व प्राकृतिक बदलावों और जीवन में नवीनीकरण के प्रतीक के रूप में मनाया जाता है। विशेष रूप से यह दिन पारसी धर्म के संस्थापक जोमशेद (जमशेद) की याद में मनाया जाता है।

जर्ना नवरोज़ का ऐतिहासिक और धार्मिक महत्व :

पारसी नववर्ष का ऐतिहासिक और धार्मिक महत्व बहुत गहरा है। पारसी धर्म के अनुसार, इस दिन राजा जमशेद ने अपनी शासनकाल के दौरान एक नया कैलेंडर शुरू किया था और इसी दिन से पारसी नववर्ष की शुरुआत मानी जाती है। इस दिन को बुनियादी तौर पर दो उद्देश्य से मनाया जाता है:

  1. प्राकृतिक बदलाव : यह दिन वसंत ऋतु की शुरुआत का प्रतीक है, जब मौसम ठंड से गर्मी की ओर बदलता है और पृथ्वी पुनः नए जीवन और ऊर्जा से भर जाती है।
  2. धार्मिक और आध्यात्मिक नवीनीकरण : पारसी धर्म में यह दिन एक नए सिरे से जीवन जीने, आत्म-संस्कार और सुधार का प्रतीक होता है। पारसी अपने जीवन में शुद्धता, सद्गुण और धर्म की ओर रुझान रखते हुए इस दिन को मनाते हैं।
जर्ना नवरोज़ की विशेषताएँ और परंपराएँ :
  1. गृहसज्जा और साफ-सफाई : जर्ना नवरोज़ के आगमन से पहले, पारसी परिवार अपने घरों की सफाई करते हैं और उसे सजाते हैं। घरों में फूलों, दीपों और रंग-बिरंगे कपड़ों से सजावट की जाती है ताकि नया साल खुशहाल और समृद्ध हो। इस दिन पारसी घरों में खास पकवान बनाए जाते हैं और परिवार के सदस्य एक दूसरे से मिलकर उत्सव मनाते हैं।
  2. नववर्ष पूजा : जर्ना नवरोज़ के दिन पारसी धर्म के अनुयायी अपने इष्ट देवों की पूजा करते हैं, विशेष रूप से फारवश (अध्यात्मिक मार्गदर्शक) और अन्य पवित्र आत्माओं को याद करते हुए प्रार्थना करते हैं। पूजा में विशेष रूप से दीप जलाए जाते हैं और धार्मिक गीत गाए जाते हैं। यह समय पारसी धर्म के सिद्धांतों को स्मरण करने और उन पर चलने का होता है।
  3. सामूहिक मिलन और उत्सव : पारसी समुदाय के लोग इस दिन एक-दूसरे से मिलते हैं और एक दूसरे को नववर्ष की शुभकामनाएँ देते हैं। परिवार और दोस्त एक साथ इकट्ठा होते हैं, और विशेष भोजन का आनंद लेते हैं। पारसी समाज में इस दिन पारंपरिक मिठाइयाँ और पकवान बनाए जाते हैं, जैसे कि सिंबोर (खास तरह का मीठा पकवान), फालूदा, और विभिन्न प्रकार के सलाद।
  4. नववर्ष के लिए खास पकवान : इस दिन पारसी परिवार विशेष पकवान तैयार करते हैं, जो उनके समृद्धि और खुशी का प्रतीक होते हैं। आमतौर पर जर्ना नवरोज़ के दिन पारसी लोग विशेष रूप से फारसी पुलाव, सलमोन (मछली), साब्ज़ी (वेजिटेबल करी) और सिंबोर (मीठा डेज़र्ट) तैयार करते हैं।
  5. नई शुरुआत का प्रतीक : पारसी नववर्ष के दिन लोग पुराने दुःखों और परेशानियों को छोड़ने और नए उत्साह से जीवन को जीने का संकल्प लेते हैं। यह दिन एक नई शुरुआत का प्रतीक होता है, जिसमें लोग अपने जीवन को सकारात्मक दिशा देने का संकल्प करते हैं।
पारसी नववर्ष का सामाजिक और सांस्कृतिक महत्व :

जर्ना नवरोज़, न केवल पारसी धर्म के अनुयायियों के लिए एक धार्मिक दिन है, बल्कि यह एक सांस्कृतिक और सामाजिक पर्व भी है। यह दिन पारसी समुदाय को एकजुट करने और सामूहिक उत्सव मनाने का अवसर प्रदान करता है। इस दिन पारसी लोग एक दूसरे के साथ अपने रिश्तों को और मजबूत करते हैं, एक दूसरे को खुशियाँ और प्यार बांटते हैं। पारसी नववर्ष, सामूहिकता, भाईचारे और शांति का प्रतीक है।

यह पर्व पारसी समाज में परंपराओं और रीति-रिवाजों को आगे बढ़ाने का अवसर होता है। यह समाज के विभिन्न वर्गों के बीच एकता और सामंजस्य स्थापित करने में मदद करता है।

निष्कर्ष :

पारसी नववर्ष, या जर्ना नवरोज़, एक महत्वपूर्ण धार्मिक, सांस्कृतिक और सामाजिक पर्व है जो पारसी समुदाय के लिए विशेष महत्व रखता है। यह दिन आत्म-संस्कार, नवीनीकरण और जीवन के प्रति सकारात्मक दृष्टिकोण अपनाने का समय होता है। पारसी समाज इसे पारंपरिक रीति-रिवाजों के साथ मनाता है, जो न केवल उनके धर्म और संस्कृति को दर्शाता है, बल्कि समाज में प्रेम, भाईचारे और एकता का संदेश भी फैलाता है। इस दिन का आयोजन न केवल पारसी समुदाय के लिए, बल्कि समग्र समाज के लिए खुशी, सामूहिकता और शांति का प्रतीक होता है।

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