डॉ. मनमोहन सिंह भारतीय अर्थशास्त्री और राजनेता हैं, जिन्होंने 2004 से 2014 तक भारत के 13वें प्रधानमंत्री के रूप में कार्य किया। वे 1990 के दशक में भारत के आर्थिक उदारीकरण के प्रमुख आर्किटेक्ट के रूप में प्रसिद्ध हैं, जब वे प्रधानमंत्री पी. वी. नरसिंह राव की सरकार में वित्त मंत्री (1991-1996) थे। डॉ. सिंह ने भारतीय अर्थव्यवस्था में कई महत्वपूर्ण सुधार किए, जैसे आयात शुल्कों में कटौती, विदेशी निवेश को बढ़ावा देना और भारतीय अर्थव्यवस्था को उदार बनाना।
डॉ. सिंह ने ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय से अर्थशास्त्र में डॉक्टरेट की डिग्री प्राप्त की और भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के गवर्नर और योजना आयोग के उपाध्यक्ष जैसे महत्वपूर्ण पदों पर कार्य किया।
उनके प्रधानमंत्री बनने के बाद भारत की अर्थव्यवस्था में तेजी से वृद्धि हुई, लेकिन उनके नेतृत्व में कुछ राजनीतिक चुनौतियाँ और भ्रष्टाचार के आरोप भी सामने आए। उनका व्यक्तित्व एक शांत और विद्वान नेता के रूप में देखा जाता है, हालांकि कई बार उन्हें अपने नेतृत्व में निष्क्रियता के लिए आलोचना भी झेलनी पड़ी।
मनमोहन सिंह के योगदानों को भारतीय राजनीति में एक सम्मानित स्थान प्राप्त है, और वे भारतीय अर्थव्यवस्था को वैश्विक मंच पर पहचान दिलाने के लिए प्रसिद्ध हैं।
( मनमोहन सिंह, बदल दी देश की तस्वीर!)
Manmohan Singh ने 92 साल की उम्र में दुनिया को अलविदा कह दिया है, लेकिन प्रधानमंत्री और वित्त मंत्री के रूप में उनके द्वारा शुरू किए गए तीन काम हमेशा नाम रहेंगे, जो उनके लिए बड़ी उपलब्धियां हैं.देश के पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह नहीं रहे (Manmohan Singh Passes Away), उन्होंने 92 वर्ष की उम्र में अंतिम सांस ली. उन्होंने सिर्फ पीएम ही नहीं,
प्रमुख अर्थशास्त्री मनमोहन सिंह ने देश के वित्त मंत्री (Finance Minister) के रूप में भी अपनी सेवाएं दीं. अपने इस कार्यकाल के दौरान उन्होंने तीन ऐसे काम किए, जो हमेशा उनके नाम रहेंगे. ये काम ऐसे थे, जो देश की तस्वीर बदलने वाले साबित हुए
इकोनॉमी को बुरे दौर में संभाला
भारत आज दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यस्था है और जल्द इसके पांचवीं सबसे बड़ी इकोनॉमी बनने की उम्मीद जाहिर की जा रही है. लेकिन 90 के दशक में हालात बिल्कुल विपरीत थी, उस समय देश में पीवी नरसिंह राव की सरकार थी और वित्त मंत्री दिवंगत डॉ मनमोहन सिंह थे. ग्लोबल मार्केट में भारत की साथ निचले स्तर पर पहुंच चुकी थी. इंडियन करेंसी अमेरिकी डॉलर के मुकाबले धराशायी हो गई थी और विदेशी मुद्रा भंडार लगभग खत्म हो चुका था. एक प्रकार से देश दिवालिया होने की कगार पर पहुंच गया था. लेकिन वित्त मंत्री ने देश के मिजाज को समझा और कुछ ऐसे फैसले लिए जिनसे भारत की वो तस्वीर ही बदल गई.